'आयुर्वेद के प्रकांड विद्वान' श्री रामसेवक खुरासिया द्वारा रचित वैद्योपचार अमृत एक अद्भुत ग्रन्थ है। इस पुस्तक में आयुर्वेद के शास्त्रीय पक्ष और शरीर को निरोग बनाये रखने के दुर्लभ व्यवहारिक अनुभवसिद्ध प्रयोग संगृहीत किये गए हैं। इस पुस्तक में वर्णित उपचार-परामर्श न केवल सामान्य जान के लिए अपितु आयुर्वेद के छात्रों और चिकित्सा शिक्षण से जुड़े विद्वत जनों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। यह किताब हिंदी पाठकों और आयुर्वेद में रुचि रखने वालों के लिए एक आदर्श उपहार है।
स्व. प. रामसेवक खुरासिया बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उनका जन्म 18 दिसंबर 1939 को खुड़ासिया-वरेला जिला सिवनी में एक संभ्रांत परिवार में हुआ। उन्होंने श्रीमद भगवत गीता को आत्मसात कर अपने जीवन में अपनाया और ग्रहस्त सन्यासी की तरह जीवन व्यतीत किया। वह हमारी संस्कृति की विरासत हमारे महर्षि व ऋषियों द्वारा अनुसंधान की गयी चिकित्सा पद्वति, आयुर्वेदिक ज्ञान, योग, प्राकृतिक चिकित्सा की विधा को जन-जन तक पहुंचाना चाहते थे जिनसे सभी जनमानस लाभान्वित हो सकें।
Vaidyopachar Amrit is a truly one-of-its-kind book authored by Pandit Ramsevak Khurasiya, a scholar of Ayurveda. This Hindi book combines the classical aspects of Ayurveda with the practical experiments and treatments advised in ancient Ayurvedic texts for keeping the body healthy. The treatments and counseling described in this book is not only useful for the common man, but also for the students of Ayurveda and the learned people associated with medical education. This would make a perfect gift for voracious hindi readers and anyone with an interest in ayurveda.
Shree Ramsevak Khurasiya was a man with a rich multifaceted personality. He was born on 18 December, 1939 in Khudasia-Varela, Seoni district to an elite family. He adopted the teachings of Bhagavad Gita in his life and lived the life of a true sanyasi. He wanted to spread the legacy of Indian culture, our ancient medical practices researched by Maharishis and Rishis, Ayurvedic knowledge and yoga to the people so that all the masses can benefit from this unique knowledge.