‘मणि मोहन की कविता में यथार्थ, सपने, और फैंटसी एक दूसरे में गड्डमड्ड हो जाते हैं। यह कविता में चीज़ों से लेकर संवेदनाओं तक में आ रहे भोथरेपन के भयावह अहसास से उपजी एक चीख है।’ - राजेश जोशी, सुप्रसिद्ध कवि
‘मणि मोहन की कविताएँ दुखी, परेशान, हताश आदमी की गहरी पक्षधरता की कविताएँ हैं। जूझते लोगों के होंठ पर रखी भाषा को कविता की जुबान बनाने का उनका कवि - कौशल हम सबको मोहाविष्ट करता है।’ - प्रेमशंकर शुक्ल, सुप्रसिद्ध कवि
‘पतझर का संगीत’ नियोलिट प्रकाशन की एक नयी श्रंख्ला की शुरुआत है जो साहित्य की सबसे कोमल और सबसे सशक्त विधा - कविता को समर्पित है।
मणि मोहन 2003 में ‘कसबे के कवि’ के रूप में औपचारिक रूप से प्रस्तुत होने के वर्षों पहले से साहित्य का एक सुपरिचित नाम रहे हैं। अनुवाद कार्य के माध्यम से विश्वकविता को हिंदी जगत से और हिंदी कविता को विश्वपटल पर रखने के महत्वपूर्ण कार्य में जुटे हैं।
इस संग्रह में आप कवि श्री मणि मोहन की एक विशेष भाव धारा की कविताएँ पाएँगे। इन्हे ‘चुनी हुई कविताएँ’ ना कहकर कुछ कविताओं के ‘करीब जाना’ कहना बेहतर होगा। पाठको को कवि के रचना संसार में डूबने में सहयोग मिले इसीलिए पुस्तक को एक विशेष सज्जा के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है।
लेखक मणि मोहन की रचनाएँ परिवार, प्रेम, अकेलापन और कविता सहित कई तरह के विषयों और भावनाओं को समेटे हुए है। साहित्य के प्रति उनका प्रेम उनकी रचनाओं में साफ झलकता है। यह एक लेखक है जो अपने शिल्प से प्यार करते है। उनकी कविता में वह जादुई गुण है जो पाठक के दिमाग में गहराई से उतरता है और एक शांतिपूर्ण भावना पैदा करता है।
झरते हुए पत्तों का संगीत सुनने के लिए एक एकांत चाहिए! यह संग्रह वही एकांत है।
2 मई, 1967 में जन्मे मणि मोहन जी देश की महत्वपूर्ण साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं जैसे पहल, वसुधा, नया ज्ञानोदय, पूर्वग्रह, दोआबा, नया पथ, वागर्थ, जनपथ, आदि में अपनी कविताएं एवं अनुवाद प्रकाशित कर चुके हैं।
In Mani Mohan's poetry, reality, dreams, and fantasy are fused together. His poetry is a scream emanating as a result of the growing blindness towards objects to sensations.' - Rajesh Joshi, Well-known Poet
Mani Mohan's works are poems of deep favoritism of a sad, troubled, desperate man. His poetic skill of bringing forth the poetry on the lips of the struggling people captivates us all.' - Premshankar Shukla, a well-known poet
‘Patjhar Ka Sangeet’ marks the beginning of a new series by Neolit Publication, dedicated to the softest and most powerful form of literature - Poetry.
The poet Mani Mohan was already a well-known name in literary circles for years before he was formally introduced as 'Kasbe ke Kavi' in 2003. It is through his careful translations that Hindi readers became connected to world poetry and Hindi poetry was introduced to the world stage.
In this anthology, by the poet Shri Mani Mohan, you will find poems belonging to a special ‘Bhava Dhara’. These poems will make a home in your heart and you will find yourself recalling some couplets years later. The book is presented with some beautiful illustrations to allow the readers to immerse themselves completely in the world of the poet's creation.
The author Mani Mohan’s poetry encapsulates a wide variety of topics and emotions including family, love, loneliness and poetry. His love for literature is evident in his writings. This is an author that is in love with his craft. His poetry has that magical quality of delving deep into the reader’s mind and provoking a feeling of peaceful tranquility.
One needs solitude to listen to the music of the falling leaves! This collection is that solitude.
Born on May 2, 1967, Mani Mohan ji has published his poems and translations in some of the most important literary journals of the country such as Pahal, Vasudha, Naya Gyanodaya, Purvagraha, Doaba, Naya Path, Vagarth, Janpath, etc.